सुनहरा :- *********** देखने को देखता है हर कोई ख्व | हिंदी शायरी Video

"सुनहरा :- *********** देखने को देखता है हर कोई ख्वाब सुनहरा, पर लगा हुआ उस पर वक़्त का कड़ा पहरा। हकीकत से परे ही नज़र आई सच्ची दास्तां, भीतर कालिख भरी!बाहर सजा रंग ज़हरा। रफ़्तार ज़िंदगी की हर दिन बढ़ाते रहें सभी, मौत है सच्चाई!इसके आगे हर कोई ठहरा। कब दबा दिया अरमानों को सात परतों तले! पता भी चला नहीं! रहता समाज का पहरा। छिछला दिखा पानी जहां मैंने पांव रखा वहां, वो भ्रम जाल था सारा मौत का दरिया गहरा। जिधर देखो आदमी हैं फिर भी! सभी तन्हा, गांवों,शहरों से तो अच्छा लगे मुझको सहरा। ज़िंदगी की किश्ती उतारी जहां के समंदर में, था छेद मेरी कश्ती में और पास न था डहरा। अर्चना तिवारी तनुजा ✍️✍️ ©Archana Tiwari Tanuja "

सुनहरा :- *********** देखने को देखता है हर कोई ख्वाब सुनहरा, पर लगा हुआ उस पर वक़्त का कड़ा पहरा। हकीकत से परे ही नज़र आई सच्ची दास्तां, भीतर कालिख भरी!बाहर सजा रंग ज़हरा। रफ़्तार ज़िंदगी की हर दिन बढ़ाते रहें सभी, मौत है सच्चाई!इसके आगे हर कोई ठहरा। कब दबा दिया अरमानों को सात परतों तले! पता भी चला नहीं! रहता समाज का पहरा। छिछला दिखा पानी जहां मैंने पांव रखा वहां, वो भ्रम जाल था सारा मौत का दरिया गहरा। जिधर देखो आदमी हैं फिर भी! सभी तन्हा, गांवों,शहरों से तो अच्छा लगे मुझको सहरा। ज़िंदगी की किश्ती उतारी जहां के समंदर में, था छेद मेरी कश्ती में और पास न था डहरा। अर्चना तिवारी तनुजा ✍️✍️ ©Archana Tiwari Tanuja

#Sunhera #सुनहरा #MyThoughts
08/09/2023

देखने को देखता है हर कोई ख्वाब सुनहरा,
पर लगा हुआ उस पर वक़्त का कड़ा पहरा।

हकीकत से परे ही नज़र आई सच्ची दास्तां,
भीतर कालिख भरी!बाहर सजा रंग ज़हरा।

रफ़्तार ज़िंदगी की हर दिन बढ़ाते रहें सभी,
मौत है सच्चाई!इसके आगे हर कोई ठहरा।

कब दबा दिया अरमानों को सात परतों तले!
पता भी चला नहीं! रहता समाज का पहरा।

छिछला दिखा पानी जहां मैंने पांव रखा वहां,
वो भ्रम जाल था सारा मौत का दरिया गहरा।

जिधर देखो आदमी हैं फिर भी! सभी तन्हा,
गांवों,शहरों से तो अच्छा लगे मुझको सहरा।

ज़िंदगी की किश्ती उतारी जहां के समंदर में,
था छेद मेरी कश्ती में और पास न था डहरा।

अर्चना तिवारी तनुजा
©archana_tiwari

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