बचपन के वो भी क्या दिन थे मै ढूंढता हूं जाने किधर | हिंदी Shayari

"बचपन के वो भी क्या दिन थे मै ढूंढता हूं जाने किधर गए, एक चांद था जिसे रात खा गई... एक सूरज, जिसे आसमां निगल गए। ©anshuman shukla "anshu""

 बचपन के वो भी क्या दिन थे
मै ढूंढता हूं जाने किधर गए,
एक चांद था जिसे रात खा गई...
एक सूरज, जिसे आसमां निगल गए।

©anshuman shukla "anshu"

बचपन के वो भी क्या दिन थे मै ढूंढता हूं जाने किधर गए, एक चांद था जिसे रात खा गई... एक सूरज, जिसे आसमां निगल गए। ©anshuman shukla "anshu"

बचपन के वो दिन #poetrty
#bachpan

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