हाँ हूं में पागल इस जमाने के लिए, क्योंकि तुझ से ह | हिंदी शायरी

"हाँ हूं में पागल इस जमाने के लिए, क्योंकि तुझ से ही लड़ रही हूं मैं तुझे पाने के लिए, हर मुमकिन कोशिश कर रही हूं ,तुझे अपने इश्क का अहसास कराने के लिए लब्ज़ न मिले तो धड़कनो से समझाऊंगी, में हर दरिया पार कर जाऊंगी तुझे मनाने के लिए, अब वक्त नहीं तुझ पे मेरे लिए, जूठ बोला करता है तू बहाने के लिए, तू बेशक हर मुमकिन कोशिश कर मुझसे दूर जाने की, मैं फिर भी लड़ती रहूंगी अपने खुदा से तुझे मेरा बनाने के लिए। ©Hritika Lohiya"

 हाँ हूं में पागल इस जमाने के लिए,
क्योंकि तुझ से ही लड़ रही हूं मैं तुझे पाने के लिए,
हर  मुमकिन कोशिश कर रही हूं ,तुझे अपने इश्क का अहसास कराने के लिए 
लब्ज़ न मिले तो धड़कनो से समझाऊंगी, में हर दरिया पार कर जाऊंगी तुझे मनाने के लिए,
अब वक्त नहीं तुझ पे मेरे लिए, जूठ बोला करता है तू बहाने के लिए,
  तू बेशक हर मुमकिन कोशिश कर मुझसे दूर जाने की, मैं फिर भी लड़ती रहूंगी अपने खुदा से तुझे मेरा बनाने के लिए।

©Hritika Lohiya

हाँ हूं में पागल इस जमाने के लिए, क्योंकि तुझ से ही लड़ रही हूं मैं तुझे पाने के लिए, हर मुमकिन कोशिश कर रही हूं ,तुझे अपने इश्क का अहसास कराने के लिए लब्ज़ न मिले तो धड़कनो से समझाऊंगी, में हर दरिया पार कर जाऊंगी तुझे मनाने के लिए, अब वक्त नहीं तुझ पे मेरे लिए, जूठ बोला करता है तू बहाने के लिए, तू बेशक हर मुमकिन कोशिश कर मुझसे दूर जाने की, मैं फिर भी लड़ती रहूंगी अपने खुदा से तुझे मेरा बनाने के लिए। ©Hritika Lohiya

तुझसे ही लड़ रही हूं तुझे पाने के लिए

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