ख्वाइशें मेरी कब की मर चुकी हैं। बस कुछ जिम्मेदारि | हिंदी शायरी

"ख्वाइशें मेरी कब की मर चुकी हैं। बस कुछ जिम्मेदारियों ने जिंदा रखा हैं।। ©яαмєѕн ϐοѕѕ"

 ख्वाइशें मेरी कब की मर चुकी हैं।
बस कुछ जिम्मेदारियों ने जिंदा रखा हैं।।

©яαмєѕн ϐοѕѕ

ख्वाइशें मेरी कब की मर चुकी हैं। बस कुछ जिम्मेदारियों ने जिंदा रखा हैं।। ©яαмєѕн ϐοѕѕ

#ख्वाइशें
#जिम्मेदारी

#LastDay

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