वो कुछ कहना चाहती थी सहमी से लगती है वो सायद कुछ | हिंदी कविता

"वो कुछ कहना चाहती थी सहमी से लगती है वो सायद कुछ बताना चाहती थी वो किसी रिश्ते से उलझी सी है झुटी हंसी मुस्कुराना चाहती थी किसी की इज्जत तो किसी का भविस्य देखकर अपना दुख छिपाना चाहती थी वो कमजोर तो नहीं मगर फिर भी खामोश है वो ममता के पल्लू में दर्द दबाना चाहती थी ©Lalita patni kothari"

 वो कुछ कहना चाहती थी

सहमी से लगती है वो 
सायद कुछ बताना चाहती थी

वो किसी रिश्ते से उलझी सी है
झुटी हंसी मुस्कुराना चाहती थी

किसी की इज्जत तो किसी का भविस्य
देखकर अपना दुख छिपाना चाहती थी

वो कमजोर तो नहीं मगर
 फिर भी खामोश है
वो ममता के पल्लू में दर्द दबाना चाहती थी

©Lalita patni kothari

वो कुछ कहना चाहती थी सहमी से लगती है वो सायद कुछ बताना चाहती थी वो किसी रिश्ते से उलझी सी है झुटी हंसी मुस्कुराना चाहती थी किसी की इज्जत तो किसी का भविस्य देखकर अपना दुख छिपाना चाहती थी वो कमजोर तो नहीं मगर फिर भी खामोश है वो ममता के पल्लू में दर्द दबाना चाहती थी ©Lalita patni kothari

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