"पराये आँसूओ से आँख को नम कर रहा हूँ मैं
भरोसा आज कल खुद पर कुछ कम कर रहा हूँ मैं
बड़ी मुश्किल से जागी थी ज़माने की निगाहो मे
उसी उम्मीद के मरने का मातम कर रहा हूँ मैं"
पराये आँसूओ से आँख को नम कर रहा हूँ मैं
भरोसा आज कल खुद पर कुछ कम कर रहा हूँ मैं
बड़ी मुश्किल से जागी थी ज़माने की निगाहो मे
उसी उम्मीद के मरने का मातम कर रहा हूँ मैं