पंछी अगर ये घर नही तेरा, पता कर कहाँ ठिकाना है।
तू फिर से उड़ पंक्षी, तुझे पैसा कमाना है।।
फसेंगे पाँव जालो में, धूप पंखों को जालेंगे।
तेरे हुनर के सौदागर, बार बा दाने डालेंगे।।
फ़िकर मत कर की क्या होगा, वही होगा जो होना है।
तुझे लड़ना है क़िस्मत से, न कि किस्मत पे रोना है।।
तेरे घर पे है तेरी माँ, तेरे आँगन में बच्चें है।
तेरे आँखों के सपनो पर, यकीन उनके भी सच्चे है।।
तेरी मंज़िल वहीं होगी, जहाँ तेरा ठिकाना है।
तू फिर से उड़ पंक्षी, तुझे पैसा कमाना है।।
~अभिजीत दे।
©Abhijeet Dey
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