रास्ते भी गुलाब देते है
होसलो को रुआब देते है
ढल गया है तेरे नगर, सूरज
हम नया आफताब देते है
चांद सी जो सुरत बचानी है
झुृल्फ का फिर नकाब देते हैं
चांद को हो गया बहुत गुमां
रूख से तेरे जवाब देते है
इस कदर है प्यास का मंजर
पास आ कर सराब देते है
जान के खुशी हुइ यूं,मुझको
दोस्तों मे वो इंतिखाब देते है
©manish acharya