White समीर तिवारी की कलम से - कंटकीर्ण पथ भी मि | हिंदी कविता

"White समीर तिवारी की कलम से - कंटकीर्ण पथ भी मिल सकते अपने ही सपने छल सकते चूल्हे की चिंगारी से बचना नहीं महल पल मे जल सकते धूल धूसरित पवन मिलेगी तिमिर निशा भी बहुत खलेगी लेकिन तुम दिनकर सम जलना सुरसरि के जैसे नित चलना लोग नहाकर धवल धार मे आर्ध्य करेंगे अर्पित तुमको बस तुम आगे बडते रहना शैल शिखर पर चढ़ते रहना सपने अपने गढते रहना अवरोधों से लडते रहना पितृ शक्ति धाम संकट मोचन हनुमान मन्दिर -ज्योतिष पीठ माता रानी की कृपा प्राप्त,समीर तिवारी कुण्डली विशेषज्ञ ©समीर तिवारी"

 White   समीर तिवारी की कलम से -

कंटकीर्ण पथ भी मिल सकते
अपने ही सपने  छल सकते
चूल्हे की चिंगारी से बचना
नहीं महल पल मे जल सकते

धूल धूसरित पवन मिलेगी
तिमिर निशा भी बहुत खलेगी
लेकिन तुम दिनकर सम जलना
सुरसरि के जैसे नित चलना

लोग नहाकर धवल धार मे
आर्ध्य करेंगे अर्पित तुमको
बस तुम आगे बडते रहना
शैल शिखर पर चढ़ते रहना
सपने अपने गढते रहना
अवरोधों से लडते रहना

पितृ शक्ति धाम
संकट मोचन हनुमान मन्दिर -ज्योतिष पीठ 
माता रानी की कृपा प्राप्त,समीर तिवारी कुण्डली विशेषज्ञ

©समीर तिवारी

White समीर तिवारी की कलम से - कंटकीर्ण पथ भी मिल सकते अपने ही सपने छल सकते चूल्हे की चिंगारी से बचना नहीं महल पल मे जल सकते धूल धूसरित पवन मिलेगी तिमिर निशा भी बहुत खलेगी लेकिन तुम दिनकर सम जलना सुरसरि के जैसे नित चलना लोग नहाकर धवल धार मे आर्ध्य करेंगे अर्पित तुमको बस तुम आगे बडते रहना शैल शिखर पर चढ़ते रहना सपने अपने गढते रहना अवरोधों से लडते रहना पितृ शक्ति धाम संकट मोचन हनुमान मन्दिर -ज्योतिष पीठ माता रानी की कृपा प्राप्त,समीर तिवारी कुण्डली विशेषज्ञ ©समीर तिवारी

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