White क्या हुआ? वो आया नहीं? कब से राह अगोर रही हो | हिंदी Poetry

"White क्या हुआ? वो आया नहीं? कब से राह अगोर रही हो क्या इस इंतज़ार का उसे पता नहीं? क्यों नहीं ज़ाहिर करती ये बेचैनी उससे? क्या कहा? वो परेशान हो जाएगा? तो कोई दूसरा तरीका सोचती क्यों नहीं? चलो उसे चिट्ठी लिख दो क्या मतलब की उसका पता मालूम नहीं? अच्छा तो उसे फ़ोन ही कर लो अब उसका नम्बर भी मालूम नहीं? आख़िरी बार क्या कहकर गया था वो? कोई वादे तुमने लिए ही नहीं फिर तो इंतज़ार ठीक नहीं क्या उसपर अब भी तुम्हें भरोसा है? क्या कहा उसकी आँखें झूठ नहीं कहती पर क्या पता वो सच भी बनावटी हो? अच्छा...तो वो औरों के जैसा नहीं है देखो ज़रा...चौखट पर कोई दस्तक दे रहा है बिना इजाज़त ही उसने दहलीज़ लांघ दी है तुम बैठी बैठी मुस्कुराने क्यों लगी? क्या कहा, वो आ गया है? काफ़ी क़रीब हो तुम उसके अच्छा अच्छा वो तुममे तुमसे ज़्यादा हो गया है? ©अgni"

 White क्या हुआ? वो आया नहीं?
कब से राह अगोर रही हो
क्या इस इंतज़ार का उसे पता नहीं?
क्यों नहीं ज़ाहिर करती ये बेचैनी उससे?
क्या कहा? वो परेशान हो जाएगा?
तो कोई दूसरा तरीका सोचती क्यों नहीं?
चलो उसे चिट्ठी लिख दो
क्या मतलब की उसका पता मालूम नहीं?
अच्छा तो उसे फ़ोन ही कर लो
अब उसका नम्बर भी मालूम नहीं?
आख़िरी बार क्या कहकर गया था वो?
कोई वादे तुमने लिए ही नहीं
फिर तो इंतज़ार ठीक नहीं
क्या उसपर अब भी तुम्हें भरोसा है?
क्या कहा उसकी आँखें झूठ नहीं कहती
पर क्या पता वो सच भी बनावटी हो?
अच्छा...तो वो औरों के जैसा नहीं है
देखो ज़रा...चौखट पर कोई दस्तक दे रहा है
बिना इजाज़त ही उसने दहलीज़ लांघ दी है
तुम बैठी बैठी मुस्कुराने क्यों लगी?
क्या कहा, वो आ गया है?
काफ़ी क़रीब हो तुम उसके
अच्छा अच्छा वो तुममे तुमसे ज़्यादा हो गया है?

©अgni

White क्या हुआ? वो आया नहीं? कब से राह अगोर रही हो क्या इस इंतज़ार का उसे पता नहीं? क्यों नहीं ज़ाहिर करती ये बेचैनी उससे? क्या कहा? वो परेशान हो जाएगा? तो कोई दूसरा तरीका सोचती क्यों नहीं? चलो उसे चिट्ठी लिख दो क्या मतलब की उसका पता मालूम नहीं? अच्छा तो उसे फ़ोन ही कर लो अब उसका नम्बर भी मालूम नहीं? आख़िरी बार क्या कहकर गया था वो? कोई वादे तुमने लिए ही नहीं फिर तो इंतज़ार ठीक नहीं क्या उसपर अब भी तुम्हें भरोसा है? क्या कहा उसकी आँखें झूठ नहीं कहती पर क्या पता वो सच भी बनावटी हो? अच्छा...तो वो औरों के जैसा नहीं है देखो ज़रा...चौखट पर कोई दस्तक दे रहा है बिना इजाज़त ही उसने दहलीज़ लांघ दी है तुम बैठी बैठी मुस्कुराने क्यों लगी? क्या कहा, वो आ गया है? काफ़ी क़रीब हो तुम उसके अच्छा अच्छा वो तुममे तुमसे ज़्यादा हो गया है? ©अgni

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