मैं जैसी दिखती थी ,वैसी ही थी पर अपनों ने हीं खेल | हिंदी कविता Video

"मैं जैसी दिखती थी ,वैसी ही थी पर अपनों ने हीं खेल, खेलकर मुझे बदलना सीखा ही दिया अंदर कुछ ओर, बाहर कुछ ओर,अपनों के साथ कुछ ओर और दुनिया के साथ एक अलग ही चेहरा लगाना सीखा ही दिया मुझे नही भाता था कपट करना,किसी का मन दुखाना अपनों ने ,और इस दुनिया ने सब सीखला ही दिया अब मैं खुद को छिपाना भी सीख गई अपना दर्द छिपाकर हँसना भी सीख गई अब कुछ मिला तो भी ठीक नही मिला तो भी ठीक क्योंकि सब ने मुझे दुनियादारी सीखा ही दी ©Manju Sharma 'kanti' "

मैं जैसी दिखती थी ,वैसी ही थी पर अपनों ने हीं खेल, खेलकर मुझे बदलना सीखा ही दिया अंदर कुछ ओर, बाहर कुछ ओर,अपनों के साथ कुछ ओर और दुनिया के साथ एक अलग ही चेहरा लगाना सीखा ही दिया मुझे नही भाता था कपट करना,किसी का मन दुखाना अपनों ने ,और इस दुनिया ने सब सीखला ही दिया अब मैं खुद को छिपाना भी सीख गई अपना दर्द छिपाकर हँसना भी सीख गई अब कुछ मिला तो भी ठीक नही मिला तो भी ठीक क्योंकि सब ने मुझे दुनियादारी सीखा ही दी ©Manju Sharma 'kanti'

#safar सीख ही लिया

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