सिसक रही है खड़ी दादरी,अब अपनी लाचारी पर, शांतिदूतो

"सिसक रही है खड़ी दादरी,अब अपनी लाचारी पर, शांतिदूतों ने मारी ठोकर,आ उसकी सरदारी पर? कहाँ गया वो रौब ना जाने,कहाँ गई गुर्जरगर्दी? कहाँ गए वो शेर कौम के,कहाँ गई खादी वर्दी? कुछ कुत्तों ने साज़िश करके,कर पीछे से वार दिया, धोखे से अपनी बस्ती में,शेर का बच्चा मार दिया। किसने आख़िर दिया बढ़ावा,इतना उन गद्दारों को? कर किसपर तुम वार रहे क्या,पता नही था चारों को? अल्लाह हु अकबर कहकर के,मार रहे थे हत्यारे, नारा ए तकबीर बोल,जाने कितने चाकू मारे। माँग रहे हैं न्याय मिले हम,शासन और प्रशासन से, थोड़ी सी उम्मीद जगी,श्री नन्द किशोर के भाषण से। पर विपक्ष क्यूँ तीन दिनों से,अपने बिल में घुसा रहा? जो रहते हैं उसके दिल में,उनके दिल मे घुसा रहा। अखलाक के केस में उनका,बनकर था जो द्रोण रहा, अब अपना भाई मरवाकर,जाने क्यूँ वो मौन रहा? कहीं वोट बैंक नाराज़ ना हो,कर झोल रहे थे नेताजी, कातिल का नही जात-धर्म कोई,बोल रहे थे नेताजी। मैं ये बोला मेरी कौम से,बन्द करो अब गद्दारी, भेड़ और भेड़ियों में क्या,होती है बोलो यारी? खरी-खरी जब सुनी उन्होंने,नेताजी तो चौंक गए, मेरी वाल पर आकर उनके,पाले चमचे भौंक गए। जब उनकी औकात दिखाई,तो फिर सारे भाग लिए, हमने बोला सोए हिन्दू,सुन लो फिर से जाग लिए। गर युहीं हम डरकर बैठें,कल फिर मारे जाएंगे, छोड़-छोड़के अपने घरों को,एक दिन सारे जाएंगे। हमने अब ये प्रण लिया है,जातपात को छोड़ेंगे, गर हमको छेड़ेगा कोई,हम भी उसको तोड़ेंगे। 🇮🇳🇮🇳🙏🏻राहुल गुर्जर हिंदुस्तानी 🙏🏻🇮🇳🇮🇳"

 सिसक रही है खड़ी दादरी,अब अपनी लाचारी पर,
शांतिदूतों ने मारी ठोकर,आ उसकी सरदारी पर?

कहाँ गया वो रौब ना जाने,कहाँ गई गुर्जरगर्दी?
कहाँ गए वो शेर कौम के,कहाँ गई खादी वर्दी?

कुछ कुत्तों ने साज़िश करके,कर पीछे से वार दिया,
धोखे से अपनी बस्ती में,शेर का बच्चा मार दिया।

किसने आख़िर दिया बढ़ावा,इतना उन गद्दारों को?
कर किसपर तुम वार रहे क्या,पता नही था चारों को?

अल्लाह हु अकबर कहकर के,मार रहे थे हत्यारे,
नारा ए तकबीर बोल,जाने कितने चाकू मारे।

माँग रहे हैं न्याय मिले हम,शासन और प्रशासन से,
थोड़ी सी उम्मीद जगी,श्री नन्द किशोर के भाषण से।

पर विपक्ष क्यूँ तीन दिनों से,अपने बिल में घुसा रहा?
जो रहते हैं उसके दिल में,उनके दिल मे घुसा रहा।

अखलाक के केस में उनका,बनकर था जो द्रोण रहा,
अब अपना भाई मरवाकर,जाने क्यूँ वो मौन रहा?

कहीं वोट बैंक नाराज़ ना हो,कर झोल रहे थे नेताजी,
कातिल का नही जात-धर्म कोई,बोल रहे थे नेताजी।

मैं ये बोला मेरी कौम से,बन्द करो अब गद्दारी,
भेड़ और भेड़ियों में क्या,होती है बोलो यारी?

खरी-खरी जब सुनी उन्होंने,नेताजी तो चौंक गए,
मेरी वाल पर आकर उनके,पाले चमचे भौंक गए।

जब उनकी औकात दिखाई,तो फिर सारे भाग लिए,
हमने बोला सोए हिन्दू,सुन लो फिर से जाग लिए।

गर युहीं हम डरकर बैठें,कल फिर मारे जाएंगे,
छोड़-छोड़के अपने घरों को,एक दिन सारे जाएंगे।

हमने अब ये प्रण लिया है,जातपात को छोड़ेंगे,
गर हमको छेड़ेगा कोई,हम भी उसको तोड़ेंगे।

🇮🇳🇮🇳🙏🏻राहुल गुर्जर हिंदुस्तानी 🙏🏻🇮🇳🇮🇳

सिसक रही है खड़ी दादरी,अब अपनी लाचारी पर, शांतिदूतों ने मारी ठोकर,आ उसकी सरदारी पर? कहाँ गया वो रौब ना जाने,कहाँ गई गुर्जरगर्दी? कहाँ गए वो शेर कौम के,कहाँ गई खादी वर्दी? कुछ कुत्तों ने साज़िश करके,कर पीछे से वार दिया, धोखे से अपनी बस्ती में,शेर का बच्चा मार दिया। किसने आख़िर दिया बढ़ावा,इतना उन गद्दारों को? कर किसपर तुम वार रहे क्या,पता नही था चारों को? अल्लाह हु अकबर कहकर के,मार रहे थे हत्यारे, नारा ए तकबीर बोल,जाने कितने चाकू मारे। माँग रहे हैं न्याय मिले हम,शासन और प्रशासन से, थोड़ी सी उम्मीद जगी,श्री नन्द किशोर के भाषण से। पर विपक्ष क्यूँ तीन दिनों से,अपने बिल में घुसा रहा? जो रहते हैं उसके दिल में,उनके दिल मे घुसा रहा। अखलाक के केस में उनका,बनकर था जो द्रोण रहा, अब अपना भाई मरवाकर,जाने क्यूँ वो मौन रहा? कहीं वोट बैंक नाराज़ ना हो,कर झोल रहे थे नेताजी, कातिल का नही जात-धर्म कोई,बोल रहे थे नेताजी। मैं ये बोला मेरी कौम से,बन्द करो अब गद्दारी, भेड़ और भेड़ियों में क्या,होती है बोलो यारी? खरी-खरी जब सुनी उन्होंने,नेताजी तो चौंक गए, मेरी वाल पर आकर उनके,पाले चमचे भौंक गए। जब उनकी औकात दिखाई,तो फिर सारे भाग लिए, हमने बोला सोए हिन्दू,सुन लो फिर से जाग लिए। गर युहीं हम डरकर बैठें,कल फिर मारे जाएंगे, छोड़-छोड़के अपने घरों को,एक दिन सारे जाएंगे। हमने अब ये प्रण लिया है,जातपात को छोड़ेंगे, गर हमको छेड़ेगा कोई,हम भी उसको तोड़ेंगे। 🇮🇳🇮🇳🙏🏻राहुल गुर्जर हिंदुस्तानी 🙏🏻🇮🇳🇮🇳

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