White शिर्क किया न कभी रब्बे जुलजलाल से,इ
सलिए पशेमा ना हुई महशर ए अंजाम से//१
मैं यक़ीं मुनाफिको पर कैसे करूं,जो करे वादा
खिलाफी और मुकर जाएं खुद के ही कलाम से//२
माजरा बेकसो_बेबसो का हमसे सुनो
जो रह गए तिश्ना लब नहर ए फरात से//३
वो मुजाहिद क्यूं डरे भला किसी जल्लाद से,
उम्र तमाम हो जिसकी जिहाद ए मकाम से//४
गर हो जाए बंटवारा रिश्तों का जहां,तो फिर
नहीं पुकारते हमशीरी मुहब्बत ए कलाम से//५
चश्म में अश्क लिये और तिश्न लब लिए,क्यूं
दिल मिलाएं हम,ऐसे*हाकीम ए हुक्काम से//६
माह ओ साल रदीफ और काफिया,लिख
रही हूंअपने सुखन मे हालेजार*अय्याम से//७
बंद करे जो दर दरीचे आपकी*इखलास के,
होते है कुछ*बाब हासिद ए हिसाब से//८
कभी चलती सांसों का हाल तो पूछा नहीं,अब
क्यूं लेते हो पल्ले शमा*क मय्यत के *तआम से//९
#shamawritesBebaak
©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
#SAD शिर्क किया न कभी रब्बे जुलजलाल से,इसलिए *पशेमा ना हुई महशर ए अंजाम से//१* लज्जित
मैं यक़ीं*मुनाफिको पर कैसे करूं,जो करे वादा खिलाफी और मुकर जाएं खुद के ही कलाम से//२*धोखेबाज
माजरा बेकसो_बेबसो का हमसे सुनो, जो रह गए*तिश्ना लब नहर ए फरात से//३
*प्यासे होंठ
वो*मुजाहिद क्यूं डरे भला किसी जल्लाद से, उम्र तमाम हो जिसकी जिहाद ए मकाम से//४*युद्धकर्ता