जो नहीं समझ सके तुम किसी के मन के भाव और एहसासों क | हिंदी कविता

"जो नहीं समझ सके तुम किसी के मन के भाव और एहसासों को तो व्यर्थ है तुम्हारा कविता लिखना और पढ़ना ©Kajal Nayak"

 जो नहीं समझ
सके तुम
किसी के मन
के भाव
और एहसासों
को
तो व्यर्थ है
तुम्हारा कविता
लिखना
और पढ़ना

©Kajal Nayak

जो नहीं समझ सके तुम किसी के मन के भाव और एहसासों को तो व्यर्थ है तुम्हारा कविता लिखना और पढ़ना ©Kajal Nayak

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