ज़िस्म भिगोए रूह नहीं, बस छल है वो बरसात नहीं ....
सूरज के आगे टिक जाए, इतनी काली रात नहीं....
वक़्त पड़ा तो सबकी, पायी पायी चुकता कर दूंगा......
माँ का कर्ज चुका दूं मैं, इतनी मेरी औकात नहीं......
तेरा कर्ज चुका दूँ मैया, इतनी तो औकात नहीं...
©Manoj Chauhan
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