आज ढलती शाम सही, कल उजियारा भी होगा बहुत छोटी है द | हिंदी कविता

"आज ढलती शाम सही, कल उजियारा भी होगा बहुत छोटी है दुनिया, अलविदा कहने को, की यहां मिलना दोबारा भी होगा ~कीर्ति"

 आज ढलती शाम सही,
कल उजियारा भी होगा
बहुत छोटी है दुनिया, 
अलविदा कहने को,
की यहां मिलना दोबारा भी होगा

~कीर्ति

आज ढलती शाम सही, कल उजियारा भी होगा बहुत छोटी है दुनिया, अलविदा कहने को, की यहां मिलना दोबारा भी होगा ~कीर्ति

#goodbye

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