बस याद में हैं रोती मेरी आँखें सब कुछ हैं खोती मेर | हिंदी Shayari

"बस याद में हैं रोती मेरी आँखें सब कुछ हैं खोती मेरी आँखें। ये जो गिरते मोती जैसे कैसे रोकें अब मेरी आँखें। ख्वाब सजाती थी जो पहले पर देखो क्या सहती मेरी आँखें। कितना रोयीं कितना बिलखी फिर भी हैं सुंदर मेरी आँखें। इतना सब होने पर भी देखो लो फिर से जो लड़ी मेरी आँखें। अब क्या समझाऊँ बतलाऊँ मेरी भी न सुनें मेरी आँखें। फिर से तरसे फिर से तड़पे हो जायें बंजर मेरी आँखें। ©Shubham Pandey gagan"

 बस याद में हैं रोती मेरी आँखें
सब कुछ हैं खोती मेरी आँखें।

ये जो गिरते मोती जैसे
कैसे रोकें अब मेरी आँखें।

ख्वाब सजाती थी जो पहले पर
देखो क्या सहती मेरी आँखें।

कितना रोयीं कितना बिलखी
फिर भी हैं सुंदर मेरी आँखें।

इतना सब होने पर भी देखो
लो फिर से जो लड़ी मेरी आँखें।

अब क्या समझाऊँ बतलाऊँ
मेरी भी न सुनें मेरी आँखें।

फिर से तरसे फिर से तड़पे
हो जायें बंजर मेरी आँखें।

©Shubham Pandey gagan

बस याद में हैं रोती मेरी आँखें सब कुछ हैं खोती मेरी आँखें। ये जो गिरते मोती जैसे कैसे रोकें अब मेरी आँखें। ख्वाब सजाती थी जो पहले पर देखो क्या सहती मेरी आँखें। कितना रोयीं कितना बिलखी फिर भी हैं सुंदर मेरी आँखें। इतना सब होने पर भी देखो लो फिर से जो लड़ी मेरी आँखें। अब क्या समझाऊँ बतलाऊँ मेरी भी न सुनें मेरी आँखें। फिर से तरसे फिर से तड़पे हो जायें बंजर मेरी आँखें। ©Shubham Pandey gagan

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