बहुत दिनों के बाद लिखने को कलम उठाया लिखूं तो लिख | हिंदी Love

"बहुत दिनों के बाद लिखने को कलम उठाया लिखूं तो लिखूं क्या? कुछ समझ न आया। क्या मै लिखना भूल गया या फिर लिखने के लिए मेरे शब्द कम पड़ रहे है? नहीं नहीं शब्दो की तो कोई कमी नहीं शायद मेरे एहसास मर रहे है। एहसास मर रहे है हां बिल्कुल ऐसा ही है तनहाई में जीते जीते अब खुद में गुमशुदा सा हो गया हूं। खुद को दुनिया से दरकिनार कर, अपने आप में खुद से जुदा सा हो गया हूं। ©Abhay Sinha"

 बहुत दिनों के बाद 
लिखने को कलम उठाया
लिखूं तो लिखूं क्या?
कुछ समझ न आया।
क्या मै लिखना भूल गया
या फिर लिखने के लिए 
मेरे शब्द कम पड़ रहे है?
नहीं नहीं शब्दो की तो
कोई कमी नहीं शायद
मेरे एहसास मर रहे है।
एहसास मर रहे है 
हां बिल्कुल ऐसा ही है
तनहाई में जीते जीते
अब खुद में गुमशुदा
सा हो गया हूं।
खुद को दुनिया से
दरकिनार कर, 
अपने आप में 
खुद से जुदा
सा हो गया हूं।

©Abhay Sinha

बहुत दिनों के बाद लिखने को कलम उठाया लिखूं तो लिखूं क्या? कुछ समझ न आया। क्या मै लिखना भूल गया या फिर लिखने के लिए मेरे शब्द कम पड़ रहे है? नहीं नहीं शब्दो की तो कोई कमी नहीं शायद मेरे एहसास मर रहे है। एहसास मर रहे है हां बिल्कुल ऐसा ही है तनहाई में जीते जीते अब खुद में गुमशुदा सा हो गया हूं। खुद को दुनिया से दरकिनार कर, अपने आप में खुद से जुदा सा हो गया हूं। ©Abhay Sinha

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