ना जाने क्यूँ संग चलते-चलते हम बीच राह में ही बिछ

"ना जाने क्यूँ संग चलते-चलते हम बीच राह में ही बिछड़ गए, इश्क़ में अभी निखरे ही थे पर ना जाने क्यूँ अचानक बिखर गए, किया था फ़रियाद कभी उससे संग जिंदगी गुजारने की , पर देख उसके इरादे हम भी उसके हाथों को उसके रक़ीब को सौंप गए ।। ©Avinash Lal Das"

 ना जाने क्यूँ  संग चलते-चलते हम बीच राह में ही बिछड़ गए,
इश्क़ में अभी निखरे ही थे पर ना जाने क्यूँ अचानक बिखर गए,

किया था फ़रियाद कभी उससे संग जिंदगी गुजारने की ,
पर देख उसके इरादे हम भी उसके हाथों को उसके रक़ीब को सौंप गए ।।

©Avinash Lal Das

ना जाने क्यूँ संग चलते-चलते हम बीच राह में ही बिछड़ गए, इश्क़ में अभी निखरे ही थे पर ना जाने क्यूँ अचानक बिखर गए, किया था फ़रियाद कभी उससे संग जिंदगी गुजारने की , पर देख उसके इरादे हम भी उसके हाथों को उसके रक़ीब को सौंप गए ।। ©Avinash Lal Das

# सौंप गए #

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