रोला छन्द :- भीषण गर्मी :- कहती है सरकार , आज है | हिंदी कविता

"रोला छन्द :- भीषण गर्मी :- कहती है सरकार , आज है भीषण गर्मी । पर भाषण में आज , नही है कोई नर्मी ।। हो विद्यालय बंद , हुए हैं बच्चे मूर्छित । खबर यही हो फ्रंट , सभी के मन हो हर्षित ।। हम भी हैं इंसान , करें हम सब मजदूरी । लू की लगे लपेट , मगर हम पर मजबूरी ।। सोचो कुछ सरकार , मिला हमको भी जीवन । भीषण गर्मी आज , झुलस्ता अपना तन-मन ।। आज नही कुछ हाथ , बनाओ आप प्रयोजन । किया सभी ने घात , दिखाकर हमें प्रलोभन ।। रोको आज विकास , जिसे सुख सुविधा कहते । करो प्रकृति शृंगार, जहाँ जन-मन हैं रहते ।। कुछ तो हो सरकार , अमल अब इन बातों पे। आये सुख की भोर,  मेघ गायें रातों पे ।। बदले जीवन चाल , झूम जाये जग सारा । चाहोगे जब आप , तभी चमकेगा तारा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 रोला छन्द :- भीषण गर्मी :-

कहती है सरकार , आज है भीषण गर्मी ।
पर भाषण में आज , नही है कोई नर्मी ।।

हो विद्यालय बंद , हुए हैं बच्चे मूर्छित ।
खबर यही हो फ्रंट , सभी के मन हो हर्षित ।।

हम भी हैं इंसान , करें हम सब मजदूरी ।
लू की लगे लपेट , मगर हम पर मजबूरी ।।

सोचो कुछ सरकार , मिला हमको भी जीवन ।
भीषण गर्मी आज , झुलस्ता अपना तन-मन ।।

आज नही कुछ हाथ , बनाओ आप प्रयोजन ।
किया सभी ने घात , दिखाकर हमें प्रलोभन ।।

रोको आज विकास , जिसे सुख सुविधा कहते ।
करो प्रकृति शृंगार, जहाँ जन-मन हैं रहते ।।

कुछ तो हो सरकार , अमल अब इन बातों पे।
आये सुख की भोर,  मेघ गायें रातों पे ।।

बदले जीवन चाल , झूम जाये जग सारा ।
चाहोगे जब आप , तभी चमकेगा तारा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

रोला छन्द :- भीषण गर्मी :- कहती है सरकार , आज है भीषण गर्मी । पर भाषण में आज , नही है कोई नर्मी ।। हो विद्यालय बंद , हुए हैं बच्चे मूर्छित । खबर यही हो फ्रंट , सभी के मन हो हर्षित ।। हम भी हैं इंसान , करें हम सब मजदूरी । लू की लगे लपेट , मगर हम पर मजबूरी ।। सोचो कुछ सरकार , मिला हमको भी जीवन । भीषण गर्मी आज , झुलस्ता अपना तन-मन ।। आज नही कुछ हाथ , बनाओ आप प्रयोजन । किया सभी ने घात , दिखाकर हमें प्रलोभन ।। रोको आज विकास , जिसे सुख सुविधा कहते । करो प्रकृति शृंगार, जहाँ जन-मन हैं रहते ।। कुछ तो हो सरकार , अमल अब इन बातों पे। आये सुख की भोर,  मेघ गायें रातों पे ।। बदले जीवन चाल , झूम जाये जग सारा । चाहोगे जब आप , तभी चमकेगा तारा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

रोला छन्द :- भीषण गर्मी :-


कहती है सरकार , आज है भीषण गर्मी ।

पर भाषण में आज , नही है कोई नर्मी ।।

हो विद्यालय बंद , हुए हैं बच्चे मूर्छित ।

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