प्रेम बेल को पीर सींचती, साँसें तुझ पर वारी रे!  च | हिंदी कविता

"प्रेम बेल को पीर सींचती, साँसें तुझ पर वारी रे!  चंदन-वंदन कर न्यौछावर, तन-मन तुझ पर हारी रे!  पीड़ा को गाते हैं पल-पल, मीरा के इकतारे हैं,  नैना व्याकुल दरश दिखा जा, मेरे तू गिरिधारी रे! ©Dr Usha Kiran "

प्रेम बेल को पीर सींचती, साँसें तुझ पर वारी रे!  चंदन-वंदन कर न्यौछावर, तन-मन तुझ पर हारी रे!  पीड़ा को गाते हैं पल-पल, मीरा के इकतारे हैं,  नैना व्याकुल दरश दिखा जा, मेरे तू गिरिधारी रे! ©Dr Usha Kiran

#मेरे तू गिरिधारी रे!

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