बेबाक देखता रहा सफ़र पर आगे बढ़ने, चुनी नई सड़क मैंन | हिंदी Motivation V

"बेबाक देखता रहा सफ़र पर आगे बढ़ने, चुनी नई सड़क मैंने, भूला कर रंज़िश अपने , नया मोड़ लिया तपने I चलते ख़ुद को तपाया , कभी द्रवित न होने दिया , सहनशक्ति से बढ़ते चला, सड़क से मोड़ लेते रहा I ओले-आँधी.धूप-कोहरा, सब झेला,सामना करता रहा , जीवन के डगर पर सब सहा , बिना रुके चलता ही रहा I मंजिल पाने की होड़ के लिए , बहुत रिश्ते अपने बिगड़ गए , छूट गए जो साथ चल न पाए, वे कहीं बादलों में छिप लिए I क्या खिलौना बन रहा गया ? क्या मर्जी से मैं चला पाया ? मिला क्या वही सच हो गया ? सड़क,बेबाक देखता रह गया I ©Ramji Mishra "

बेबाक देखता रहा सफ़र पर आगे बढ़ने, चुनी नई सड़क मैंने, भूला कर रंज़िश अपने , नया मोड़ लिया तपने I चलते ख़ुद को तपाया , कभी द्रवित न होने दिया , सहनशक्ति से बढ़ते चला, सड़क से मोड़ लेते रहा I ओले-आँधी.धूप-कोहरा, सब झेला,सामना करता रहा , जीवन के डगर पर सब सहा , बिना रुके चलता ही रहा I मंजिल पाने की होड़ के लिए , बहुत रिश्ते अपने बिगड़ गए , छूट गए जो साथ चल न पाए, वे कहीं बादलों में छिप लिए I क्या खिलौना बन रहा गया ? क्या मर्जी से मैं चला पाया ? मिला क्या वही सच हो गया ? सड़क,बेबाक देखता रह गया I ©Ramji Mishra

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