बूढ़ी होती जा रही हैं निग़ाहें, रहता है जिनको इंतज़ार | English Poetry Vi

"बूढ़ी होती जा रही हैं निग़ाहें, रहता है जिनको इंतज़ार तुम्हारा..! ख़्वाहिशों के पँछी बंद मन के पिंजरे में, फिर हो गया क्यों आवारा..! दिल की कश्ती डूबती अपनी हस्ती, रिसती ज़िन्दगी का यहाँ कौन सहारा..! जकड़े गए इश्क़ में कुछ यूँ ही हम भी, ख़ुदा ख़ुदा महबूब को पुकारा..! बंद साँसे जीवन को यमराज पाश में फाँसे, नाशे ऱोग से किसने उभारा..! ज़िंदा लाश बन के फिरे हम, नज़र आया न कोई भी अपना हमारा..! भरोसे का क़त्ल कर दिया कुछ यूँ ही, ऐतबार किसी पे न होगा दोबारा..! जीतता रहा दिल ख़ुद को लुटा कर, पर ज़िन्दगी में अपनी हरदम हारा..! ©SHIVA KANT(Shayar) "

बूढ़ी होती जा रही हैं निग़ाहें, रहता है जिनको इंतज़ार तुम्हारा..! ख़्वाहिशों के पँछी बंद मन के पिंजरे में, फिर हो गया क्यों आवारा..! दिल की कश्ती डूबती अपनी हस्ती, रिसती ज़िन्दगी का यहाँ कौन सहारा..! जकड़े गए इश्क़ में कुछ यूँ ही हम भी, ख़ुदा ख़ुदा महबूब को पुकारा..! बंद साँसे जीवन को यमराज पाश में फाँसे, नाशे ऱोग से किसने उभारा..! ज़िंदा लाश बन के फिरे हम, नज़र आया न कोई भी अपना हमारा..! भरोसे का क़त्ल कर दिया कुछ यूँ ही, ऐतबार किसी पे न होगा दोबारा..! जीतता रहा दिल ख़ुद को लुटा कर, पर ज़िन्दगी में अपनी हरदम हारा..! ©SHIVA KANT(Shayar)

#chaand #nigahen

People who shared love close

More like this

Trending Topic