White समीर तिवारी की कलम से
वीरता ईश्वर से मिला एक गहना है
खडे रहते दरबान बहुत से योद्धा बनकर
बहा करता है कीचड़ बाड के मौसम मे हरदम
शुद्धता हर मौसम मे आती है हिमालय से छनकर
सज लेने से ब्यूटीपार्लर मे सुन्दर नहीं होता कोई
हमने देखा है सुन्दरता इमानदारी की मिट्टी मे सनकर
बच जाते है वो जिन्हें आती है झुंकने की कला
टूट गये पेड जो खडे रहे हवाओ मे तनकर
यूं ही नहीं लिख देता है कोई, सत्य सादे पन्नो मे
अनुभव निकलता है समीर कलम से स्याही बनकर
कापी पेस्ट काट छांट ना करे
समीर तिवारी
नोटः कापी पेष्ट काट छाट ना करे
©समीर तिवारी
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