मुक्तक :-बूँद
बूँद-बूँद को तरस रहा है ,
जग में हर इंसान ।
सूखी फसले देख-देखकर ,
रोता आज किसान ।
जीव-जन्तु की कौन करे फिर ,
बतलाओ परवाह-
कुछ दौलत के आज नशे में ,
बन बैठे शैतान ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक :-बूँद
बूँद-बूँद को तरस रहा है ,
जग में हर इंसान ।
सूखी फसले देख-देखकर ,
रोता आज किसान ।
जीव-जन्तु की कौन करे फिर ,
बतलाओ परवाह-