प्रकृति निःस्व निदान में, बात सही तुम कहते हो! युग | English Poetry Vi

"प्रकृति निःस्व निदान में, बात सही तुम कहते हो! युगों युगों की वर्त की धारा, अब जैसे मिट सी चली हो!! अंकिय लेख धूमल रथ में, इतिहास हमारा जम सा गया! करनी की इस सेवा फल में, सत्य को भीखा द्वार दिखा गया!! अंदाज_छवि "

प्रकृति निःस्व निदान में, बात सही तुम कहते हो! युगों युगों की वर्त की धारा, अब जैसे मिट सी चली हो!! अंकिय लेख धूमल रथ में, इतिहास हमारा जम सा गया! करनी की इस सेवा फल में, सत्य को भीखा द्वार दिखा गया!! अंदाज_छवि

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