बुढ़ि इन उंगलियों में बड़ी जान होती है। एक नई खुशन | हिंदी कविता

"बुढ़ि इन उंगलियों में बड़ी जान होती है। एक नई खुशनुमा जिन्दगी की पहचान होती है।। बचपन से सीखते- सीखते बातें, ना जाने कब ये इतनी बड़ी हो गई। जवानी आईं जो इनकी, तो वह केवल रूपए कमाने में निकल‌ गई। माना सिकुड़न सी आई है इनमें, असली अनुभव की यही तो शान होती है। अपनी बीती जिंदगी दोबारा जीने को, इन उंगलियों में एक दूसरी उमंग- उल्लास होती है। बुढ़ि इन उंगलियों में बड़ी जान होती है। एक नई खुशनुमा जिन्दगी की पहचान होती है।।"

 बुढ़ि इन उंगलियों में बड़ी जान होती है।
एक नई खुशनुमा जिन्दगी की पहचान होती है।।


बचपन से सीखते- सीखते बातें,
ना जाने कब ये इतनी बड़ी हो गई।
जवानी आईं जो इनकी,
तो वह केवल रूपए कमाने में निकल‌ गई।
माना सिकुड़न सी आई है इनमें,
असली अनुभव की यही तो शान होती है।
अपनी बीती जिंदगी दोबारा जीने को,
इन उंगलियों में एक दूसरी उमंग- उल्लास होती है।


बुढ़ि इन उंगलियों में बड़ी जान होती है।
एक नई खुशनुमा जिन्दगी की पहचान होती है।।

बुढ़ि इन उंगलियों में बड़ी जान होती है। एक नई खुशनुमा जिन्दगी की पहचान होती है।। बचपन से सीखते- सीखते बातें, ना जाने कब ये इतनी बड़ी हो गई। जवानी आईं जो इनकी, तो वह केवल रूपए कमाने में निकल‌ गई। माना सिकुड़न सी आई है इनमें, असली अनुभव की यही तो शान होती है। अपनी बीती जिंदगी दोबारा जीने को, इन उंगलियों में एक दूसरी उमंग- उल्लास होती है। बुढ़ि इन उंगलियों में बड़ी जान होती है। एक नई खुशनुमा जिन्दगी की पहचान होती है।।

कुछ बातें दुसरे बचपन की।। @Dr.ShrutiGarg PT @Ishita Goyal @Gaurav Karn Abhash Jain 💜 poet pandey

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