अब मुझे ताब नहीं आएगा, जो तेरा ख्वाब नहीं आएगा, म | हिंदी शायरी

"अब मुझे ताब नहीं आएगा, जो तेरा ख्वाब नहीं आएगा, मुझे पता है के मेरे खत पे, तेरा जवाब नहीं आएगा, बाम- ए- अंजुम पे कुछ नज़र रख लो, छत पे महताब नहीं आएगा, जिसको ये महफिलें सजानी थी, वो मेरे बाब नहीं आएगा, एक ही हादसा हुआ है के, तुम्हें अज़ाब नहीं आएगा, जाम भर भर शराब आएगी, कतरा भर आब नहीं आएगा,"

 अब मुझे ताब नहीं आएगा,
जो तेरा ख्वाब नहीं आएगा,

मुझे पता है के मेरे खत पे,
तेरा जवाब नहीं आएगा,

बाम- ए- अंजुम पे कुछ नज़र रख लो,
छत पे महताब नहीं आएगा,

जिसको ये महफिलें सजानी थी,
वो मेरे बाब नहीं आएगा,

एक ही हादसा हुआ है के,
तुम्हें अज़ाब नहीं आएगा,

जाम भर भर शराब आएगी,
कतरा भर आब नहीं आएगा,

अब मुझे ताब नहीं आएगा, जो तेरा ख्वाब नहीं आएगा, मुझे पता है के मेरे खत पे, तेरा जवाब नहीं आएगा, बाम- ए- अंजुम पे कुछ नज़र रख लो, छत पे महताब नहीं आएगा, जिसको ये महफिलें सजानी थी, वो मेरे बाब नहीं आएगा, एक ही हादसा हुआ है के, तुम्हें अज़ाब नहीं आएगा, जाम भर भर शराब आएगी, कतरा भर आब नहीं आएगा,

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