उठी रहीं तो दीदार तेरे रुख़ का होगा, झुक गईं ये पलक | हिंदी शायरी

"उठी रहीं तो दीदार तेरे रुख़ का होगा, झुक गईं ये पलकें तो बात अलग है, चलती रहीं तो याद तेरी आएगी, रुक गईं ये साँसें तो बात अलग है | सुभाष ठाकुर... ✍🏻 ©Subhash Thakur"

 उठी रहीं तो दीदार तेरे रुख़ का होगा,
झुक गईं ये पलकें तो बात अलग है,
चलती रहीं तो याद तेरी आएगी,
रुक गईं ये साँसें तो बात अलग है |

सुभाष ठाकुर... ✍🏻

©Subhash Thakur

उठी रहीं तो दीदार तेरे रुख़ का होगा, झुक गईं ये पलकें तो बात अलग है, चलती रहीं तो याद तेरी आएगी, रुक गईं ये साँसें तो बात अलग है | सुभाष ठाकुर... ✍🏻 ©Subhash Thakur

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