अल्फाजों के घेरे से खुद को घेर लिए हम तो दूरियों क | हिंदी कविता

"अल्फाजों के घेरे से खुद को घेर लिए हम तो दूरियों के समंदर में गोते लगाते रहे हम तो न समझ है नादान है पागल है कि काफिर खुद को समझते रहे हम तो मंजिल से परे भटकते रहे हम तो कहते रहे वो हमसे जाते हो कहां तुम तो मंजिल सामने है फिर भी धक्के खाते हो तुम तो ©aditi the writer"

 अल्फाजों के घेरे से खुद को घेर लिए हम तो
दूरियों के समंदर में गोते लगाते रहे हम तो
न समझ है नादान है पागल है
कि काफिर खुद को समझते रहे हम तो
मंजिल से परे भटकते रहे हम तो
कहते रहे वो हमसे जाते हो कहां तुम तो
मंजिल सामने है फिर भी धक्के खाते हो तुम तो

©aditi the writer

अल्फाजों के घेरे से खुद को घेर लिए हम तो दूरियों के समंदर में गोते लगाते रहे हम तो न समझ है नादान है पागल है कि काफिर खुद को समझते रहे हम तो मंजिल से परे भटकते रहे हम तो कहते रहे वो हमसे जाते हो कहां तुम तो मंजिल सामने है फिर भी धक्के खाते हो तुम तो ©aditi the writer

#alfaaz#gheraNiaz (Harf) @Kundan Dubey @Kumar Shaurya आगाज़ @Da "Divya Tyagi"

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