सभी को सोना है एक रोज आगोश में यहा हर किसी को क | हिंदी Poetry

"सभी को सोना है एक रोज आगोश में यहा हर किसी को किसा का इंतजार है बेशबर हुए इंतजार में थामे भय का हाथ बढ़ते जा रहे है सभी मंजिल के आसार में लिए कई सदियों की पीढ़ा और मिलन की न पूरी हो सकी इच्छाओं को जहन में । हर कदम बढ़ रहा है अंत की ओर जरा जरा सोएगा सुकु से मौत के आगोश में।। ©Devendra yadav"

 सभी को सोना है एक रोज आगोश में  

यहा हर किसी को किसा का इंतजार है

बेशबर हुए इंतजार में थामे भय का हाथ

बढ़ते  जा रहे है सभी मंजिल के आसार में

लिए कई सदियों की पीढ़ा और मिलन की

न पूरी हो सकी इच्छाओं को जहन में  । 

हर कदम बढ़ रहा है अंत की ओर जरा जरा 

 सोएगा  सुकु से मौत के आगोश में।।

©Devendra yadav

सभी को सोना है एक रोज आगोश में यहा हर किसी को किसा का इंतजार है बेशबर हुए इंतजार में थामे भय का हाथ बढ़ते जा रहे है सभी मंजिल के आसार में लिए कई सदियों की पीढ़ा और मिलन की न पूरी हो सकी इच्छाओं को जहन में । हर कदम बढ़ रहा है अंत की ओर जरा जरा सोएगा सुकु से मौत के आगोश में।। ©Devendra yadav

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