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ता उम्र बस तेरा मैं तलबगार ही रहा
कहला के बेवफा भी वफादार ही रहा
इस मौन में दबी हुई है सिसकियाँ मेरी
गुम नामियों के गार में खुद्दार ही रहा
कैसे करूँ में शिक्वे तेरी बेवफाई के
दिल में मेरे तेरे लिए बस प्यार ही रहा
तन्हाईयाँ ये हमको डराती है आज भी
बिन तेरे में हमेशा से लाचार ही रहा
सौदा कभी किया नहीं यादों ने तेरे भी
बस इनके इर्द गिर्द ये संसार ही रहा
तुम साथ तो निभा न सके दो कदम मेरा
हर राह पर तेरा हमें इंतजार ही रहा
( लक्ष्मण दावानी ✍ )
26/3/2017
©laxman dawani
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