ये पहले भी हो चुका हैं, आगे भी होगा... फिर अभी इसक | हिंदी Shayari

"ये पहले भी हो चुका हैं, आगे भी होगा... फिर अभी इसके होने का, इतना दर्द क्यों हो रहा हैं? जानते हो तुम, लाख चाहने के बावजूद नहीं बदलने वाला कुछ... फिर इस बात को सोच तू इतना खफा क्यों हो रहा है? सालों से बांध रखा है तुमने खुद को जिन उम्मीद की जंजीरों में, नही मुकम्मल होंगे कभी, ये जानते हुए भी तू किस उम्मीद में बैठा हुआ है? शायद इस जीवन में नही, किसी और दुनिया में ही सही, कभी तो वो मेरे महेंगे ख्वाब पूरे होंगे हम वाकई साथ होंगे झूठी ही सही, वो मुझे समझने की कोशिश तो किया करेंगे... ©Neha Goswami"

 ये पहले भी हो चुका हैं,
आगे भी होगा...
फिर अभी इसके होने का,
इतना दर्द क्यों हो रहा हैं?

जानते हो तुम,
लाख चाहने के बावजूद
नहीं बदलने वाला कुछ...
फिर इस बात को सोच
तू इतना खफा क्यों हो रहा है?

सालों से बांध रखा है तुमने खुद को
जिन उम्मीद की जंजीरों में,
नही मुकम्मल होंगे कभी,
ये जानते हुए भी
तू किस उम्मीद में बैठा हुआ है?

शायद इस जीवन में नही,
किसी और दुनिया में ही सही,
कभी तो वो मेरे महेंगे ख्वाब पूरे होंगे
हम वाकई साथ होंगे
झूठी ही सही,
वो मुझे समझने की कोशिश तो किया करेंगे...

©Neha Goswami

ये पहले भी हो चुका हैं, आगे भी होगा... फिर अभी इसके होने का, इतना दर्द क्यों हो रहा हैं? जानते हो तुम, लाख चाहने के बावजूद नहीं बदलने वाला कुछ... फिर इस बात को सोच तू इतना खफा क्यों हो रहा है? सालों से बांध रखा है तुमने खुद को जिन उम्मीद की जंजीरों में, नही मुकम्मल होंगे कभी, ये जानते हुए भी तू किस उम्मीद में बैठा हुआ है? शायद इस जीवन में नही, किसी और दुनिया में ही सही, कभी तो वो मेरे महेंगे ख्वाब पूरे होंगे हम वाकई साथ होंगे झूठी ही सही, वो मुझे समझने की कोशिश तो किया करेंगे... ©Neha Goswami

#citylight

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