अगर हिरण्यकश्यप न होता तो भक्त प्रह्लाद को सताता कौन,
अगर प्रह्लाद सताए न जाते तो दीनानाथ को बुलाता कौन,
अगर तीनों लोकों के स्वामी को बुलाया न जाता
तो नरसिंह रूप लेकर आता कौन,
अगर ये कुछ न होता तो हे गोविन्द
ऐसी लीला दिखाकर कश्यप को मुक्ति धाम पहुँचाता कौन।।
-Govind N Mishra
©Govind
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