White ॥ इति श्रीमद् भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां अष्टमस्कन्धे गजेंन्द्रमोक्षणे तृतीयोऽध्यायः ॥
{Bolo Ji Radhey Radhey}
गजेंद्र ने कहा :- जो जगत के मूल कारण हैं, और सबके हृदय में पुरुष के रूप मैं विराजमान हैं, एवं समस्त जगत के एकमात्र स्वामी हैं।
जिनके कारण इस संसार में चेतना का विस्तार होता है, उन भगवन को मैं नमस्कार करता हूँ, प्रेम से में उनका ध्यान करता हूँ। यह संसार उन्हीं में स्थित है, उन्हीं की सत्ता से प्रतीत हो रहा है, वे ही इसमें व्याप्त हो रहे हैं , और स्वयं वे ही इस रूप में प्रकट हो रहे हैं। यह सब होने पर भी वे संसार और इसके कारण -प्रकृति से सर्वथा परे हैं। उन स्वयंप्रकाश, स्वयंसिद्ध सत्तात्मक भगवान की मैं शरण ग्रहण करता हूँ।
©N S Yadav GoldMine
#good_night_images ॥ इति श्रीमद् भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां अष्टमस्कन्धे गजेंन्द्रमोक्षणे तृतीयोऽध्यायः ॥
{Bolo Ji Radhey Radhey}
गजेंद्र ने कहा :- जो जगत के मूल कारण हैं, और सबके हृदय में पुरुष के रूप मैं विराजमान हैं, एवं समस्त जगत के एकमात्र स्वामी हैं।
जिनके कारण इस संसार में चेतना का विस्तार होता है, उन भगवन को मैं नमस्कार करता हूँ, प्रेम से में उनका ध्यान करता हूँ। यह संसार उन्हीं में स्थित है, उन्हीं की सत्ता से प्रतीत हो रहा है, वे ही इसमें व्याप्त हो रहे हैं , और स्वयं वे ह