"मधुर मधु-सौरभ जगत् को स्वप्न में बेसुध बनाता, व | हिंदी Video

" "मधुर मधु-सौरभ जगत् को स्वप्न में बेसुध बनाता, वात विहगों के विपिन के गीत आता गुनगुनाता। मैं पथिक हूँ श्रांत, कोई पथ प्रदर्शक भी न मेरा, चाहता अब प्राण अलसित शून्य में लेना बसेरा।" ©HintsOfHeart. "

"मधुर मधु-सौरभ जगत् को स्वप्न में बेसुध बनाता, वात विहगों के विपिन के गीत आता गुनगुनाता। मैं पथिक हूँ श्रांत, कोई पथ प्रदर्शक भी न मेरा, चाहता अब प्राण अलसित शून्य में लेना बसेरा।" ©HintsOfHeart.

#महादेवी_वर्मा #जन्म_जयंती
महादेवी वर्मा जी हिन्दी काव्य में छायावाद की एक प्रमुख स्तंभ थीं।
जन्म: 26 मार्च 1907, फ़र्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश।

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