गर बिछड़ जाये लाल उसका क्षण भर के लिये माँ कमली कमल | हिंदी Bhakti

"गर बिछड़ जाये लाल उसका क्षण भर के लिये माँ कमली कमली ढूंढ़दी फिरदी यहाँ तहाँ इस जग में पर लगता मैंनु मनालो त्वांनु जिन्ना वी तैनु फर्क नी पैंदा लगता मैंनु पथरों के विच बै बै के दिल भी तेरा पत्थरा दा हो गया सौगंध तुझको तेरे लाल की और न देरकर बस आजा अब न दे सज़ा न रुला अब और तरसा.... ©Mahadev Son"

 गर बिछड़ जाये लाल उसका
क्षण भर के लिये माँ कमली कमली
ढूंढ़दी फिरदी यहाँ तहाँ इस जग में 

पर लगता मैंनु मनालो त्वांनु जिन्ना वी
तैनु फर्क नी पैंदा लगता मैंनु पथरों के विच
बै बै के दिल भी तेरा पत्थरा दा हो गया 

सौगंध तुझको तेरे लाल की और न
देरकर बस आजा अब न दे सज़ा
न रुला अब और तरसा....

©Mahadev Son

गर बिछड़ जाये लाल उसका क्षण भर के लिये माँ कमली कमली ढूंढ़दी फिरदी यहाँ तहाँ इस जग में पर लगता मैंनु मनालो त्वांनु जिन्ना वी तैनु फर्क नी पैंदा लगता मैंनु पथरों के विच बै बै के दिल भी तेरा पत्थरा दा हो गया सौगंध तुझको तेरे लाल की और न देरकर बस आजा अब न दे सज़ा न रुला अब और तरसा.... ©Mahadev Son

गर बिछड़ जाये लाल उसका
क्षण भर के लिये माँ कमली कमली
ढूंढ़दी फिरदी यहाँ तहाँ इस जग में

पर लगता मैंनु मनालो त्वांनु जिन्ना वी
तैनु फर्क नी पैंदा लगता मैंनु पथरों के विच
बै बै के दिल भी तेरा पत्थरा दा हो गया

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