White अनबुझ पहेली हूं मै
खुद अपनी सहेली हूं मैं
हर बार बिखर बिखर कर
खुद ही संभली हूं मै
हां,,अनबुझ पहेली हूं मैं
है आम सी मिठास मुझमें
करले सी कड़वाहट भी
सुनती हूं सबकी बातें ध्यान से
करती अपने मन की हूं
हां,,अनबुझ पहेली हूं मै
सही को गलत,गलत को सही
कहना मेरी आदत नहीं
पर कभी कभी किसी निर्दोश को सजा ना मिले
इसके लिए झूंठ बोल जाती हूं मैं
सही कहा,,,अनबुभ पहेली हूं मै।
अलफ़ाज मेरे✍️🙏🙏
©Ashutosh Mishra
#mango
अनबुझ पहेली हूं मैं
अपनी खुद ही सहेली हूं मैं
हर बार बिखर बिखर कर
खुद ही संभली हूं मैं
हा,,,अनबुझ पहेली हूं मैं
#आम
#अनबुझ @Ravi yaduvanshi61 चाँदनी Vaibhav's Poetry @nita kumari अदनासा-