White पल्लव की डायरी
नियति ने भी सौ सौ घाव कर दिये
संघर्ष पथ भी नही सुहाता है
गवाही धरती अम्बर बने हुये है
फिर भी सत्य विचलित और खामोश रोता है
अनीति के सब मार्ग प्रदस्थ हुये है
प्रपंच रचकर झूठ शासन करता है
भय भूख का खेल बड़ा है
जंजीरो में मानव जकड़ता है
सबक नही कोई अब सिखाता
लालची पिशाच का कद बड़ा होता जाता है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#safar लालची पिशाच का कद बड़ा होता जाता है
#nojotohindi