ram lala ayodhya mandir
हे! राम तुम ना सिर्फ रहना उन निष्ठुर पाषाणो में
नित् निरंतर अनवरत बहना मानव मन इंसानो में।
जब अन्तस की अनंत अनल में मानवता खो जाये
शुचि प्रेम सौहार्द जगा उर में, घृणा रोष मिटा देना।
मातृभूमि की रज में कहीं वात्सल्य वंचित ना हो
तिमिर मिटा, नव दीप जला राम राज फिर ला देना।
जय श्री राम!
©mausam
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