"मुझे इंसान नजर नहीं आते।
बस पहचान नजर आती हैं।
बस्ती बहुत बड़ी है तेरी।
लेकिन इंसान नजर नहीं आता।
मैंने देखा है,
मंदिर और मस्जिद में भीड़ लोगों की बहुत,
लेकिन इंसान कम ही नजर आता हैं।
हर इंसान का किरदार बखूबी अलग - अलग है
लेकिन इंसान के अंदर इंसानियत अब कम ही नजर आता है।।
©Niaz (Harf)
"