बड़े ऐहतियात बरतते हैं मेरे रिश्ते, फिर भी सच से झ | हिंदी कविता Video

"बड़े ऐहतियात बरतते हैं मेरे रिश्ते, फिर भी सच से झूलस के मर जाते हैं, कहते हैं, तू तो हकीकत जानती है ना, फिर क्यों उम्मीद लगाए बैठी है कि, वो तेरे घावों पे मरहम लगाएंगे, अरे वो ही कातिल है तेरे, और फिर उनके भी तो घाव है, कुछ जीते, कुछ हारे, झूलसते शायद उनके भी तो कुछ दाव है, तो इस बदलते इस वक्त में, खुद से सही हो जाना ही, सही है, दुसरो से उम्मीदें जहर है..... ©єηмσηтισηѕ "

बड़े ऐहतियात बरतते हैं मेरे रिश्ते, फिर भी सच से झूलस के मर जाते हैं, कहते हैं, तू तो हकीकत जानती है ना, फिर क्यों उम्मीद लगाए बैठी है कि, वो तेरे घावों पे मरहम लगाएंगे, अरे वो ही कातिल है तेरे, और फिर उनके भी तो घाव है, कुछ जीते, कुछ हारे, झूलसते शायद उनके भी तो कुछ दाव है, तो इस बदलते इस वक्त में, खुद से सही हो जाना ही, सही है, दुसरो से उम्मीदें जहर है..... ©єηмσηтισηѕ

दौर-ए-गैर
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