White मनहरण घनाक्षरी :- खूब गीत गाओ सब , ढोल भी ब | हिंदी कविता

"White मनहरण घनाक्षरी :- खूब गीत गाओ सब , ढोल भी बजाओ सब गुडिय़ा रानी घर आयी , लड्डू बटवाइये । देख मग्न भाई सभी , दादी-दादा ताई सभी , मम्मी पापा आप बने , खुशियाँ मनाइये । नेक चार बुआ फूफा , पाये हैं खूब तोहफ़ा , खुशी-खुशी बिटिया पे, प्यार तो लुटाइये । मंगल ही मंगल हो , न अब अमंगल हो , बिटिया को ऐसा सब , आशीष दे जाइये ।।१ नहीं मोल भाव कर , व्यर्थ न सवाल कर , आँख मूँद रिश्तें यहाँ, चलिये निभाइये । कौन गोरा कौन काला , कौन धनी कौन ग्वाला यह तो संसार प्यारे ,  हमें न बताइये । स्वार्थ से तू परा नहीं , किसमें ये भरा नहीं, राम जी की नैय्या यह , खेव के दिखाइये । आप हम और नहीं ,  निश्चित ही ठौर नहीं, चलते रहिये फिर , नही भरमाइये ।।२ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 White मनहरण घनाक्षरी :-

खूब गीत गाओ सब , ढोल भी बजाओ सब
गुडिय़ा रानी घर आयी , लड्डू बटवाइये ।
देख मग्न भाई सभी , दादी-दादा ताई सभी ,
मम्मी पापा आप बने , खुशियाँ मनाइये ।
नेक चार बुआ फूफा , पाये हैं खूब तोहफ़ा ,
खुशी-खुशी बिटिया पे, प्यार तो लुटाइये ।
मंगल ही मंगल हो , न अब अमंगल हो ,
बिटिया को ऐसा सब , आशीष दे जाइये ।।१

नहीं मोल भाव कर , व्यर्थ न सवाल कर ,
आँख मूँद रिश्तें यहाँ, चलिये निभाइये ।
कौन गोरा कौन काला , कौन धनी कौन ग्वाला
यह तो संसार प्यारे ,  हमें न बताइये ।
स्वार्थ से तू परा नहीं , किसमें ये भरा नहीं,
राम जी की नैय्या यह , खेव के दिखाइये ।
आप हम और नहीं ,  निश्चित ही ठौर नहीं,
चलते रहिये फिर , नही भरमाइये ।।२

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

White मनहरण घनाक्षरी :- खूब गीत गाओ सब , ढोल भी बजाओ सब गुडिय़ा रानी घर आयी , लड्डू बटवाइये । देख मग्न भाई सभी , दादी-दादा ताई सभी , मम्मी पापा आप बने , खुशियाँ मनाइये । नेक चार बुआ फूफा , पाये हैं खूब तोहफ़ा , खुशी-खुशी बिटिया पे, प्यार तो लुटाइये । मंगल ही मंगल हो , न अब अमंगल हो , बिटिया को ऐसा सब , आशीष दे जाइये ।।१ नहीं मोल भाव कर , व्यर्थ न सवाल कर , आँख मूँद रिश्तें यहाँ, चलिये निभाइये । कौन गोरा कौन काला , कौन धनी कौन ग्वाला यह तो संसार प्यारे ,  हमें न बताइये । स्वार्थ से तू परा नहीं , किसमें ये भरा नहीं, राम जी की नैय्या यह , खेव के दिखाइये । आप हम और नहीं ,  निश्चित ही ठौर नहीं, चलते रहिये फिर , नही भरमाइये ।।२ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :-

खूब गीत गाओ सब , ढोल भी बजाओ सब
गुडिय़ा रानी घर आयी , लड्डू बटवाइये ।
देख मग्न भाई सभी , दादी-दादा ताई सभी ,
मम्मी पापा आप बने , खुशियाँ मनाइये ।
नेक चार बुआ फूफा , पाये हैं खूब तोहफ़ा ,
खुशी-खुशी बिटिया पे, प्यार तो लुटाइये ।

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