दिल में उठी है कुलकुली, रोंगटों में उठी सरसरी कैतल | हिंदी Poetry

"दिल में उठी है कुलकुली, रोंगटों में उठी सरसरी कैतली हो रही उतावली, कपों में मची खलबली किचन पर सब की निगाह टिकी, चाय जो खौल रही हाथ, लब, दिल दिमाग और चिल्ला रही हड्डी पसली जमीन पर आसन लगा, पिण्डलनी ने मार ली कुण्डली अब तो मेरी मइ्इ्ईया दे दो चाय और कितनी चाहिए मण्डली ©Parul Sharma"

 दिल में उठी है कुलकुली, रोंगटों में उठी सरसरी
कैतली हो रही उतावली, कपों में मची खलबली 
किचन पर सब की निगाह टिकी, चाय जो खौल रही
हाथ, लब,  दिल दिमाग और चिल्ला रही हड्डी पसली
जमीन पर आसन लगा, पिण्डलनी ने मार ली कुण्डली 
अब तो मेरी मइ्इ्ईया दे दो चाय और कितनी चाहिए मण्डली

©Parul Sharma

दिल में उठी है कुलकुली, रोंगटों में उठी सरसरी कैतली हो रही उतावली, कपों में मची खलबली किचन पर सब की निगाह टिकी, चाय जो खौल रही हाथ, लब, दिल दिमाग और चिल्ला रही हड्डी पसली जमीन पर आसन लगा, पिण्डलनी ने मार ली कुण्डली अब तो मेरी मइ्इ्ईया दे दो चाय और कितनी चाहिए मण्डली ©Parul Sharma

क्या जबरदस्त तलब है चाय की
किस किस ने मांगी है माँ से इतनी शिद्दत से चाय
#teatime

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