कभी इस फलक पर आकर इत्मीनान से पढ़ो मेरे दिली खयाल | हिंदी कविता

"कभी इस फलक पर आकर इत्मीनान से पढ़ो मेरे दिली खयाल। "अल्हड़" दावा तो नहीं करता पर बेशक खत्म करेगा तुम्हारे कुछ सवाल।। वक्त मिले तो आना ज़रुर वरना वक्त का तकाजा तो जमाने में है बहुत मशहूर आदित्य मस्त अल्हड़ ०९/०७/२०२३ ©Aditya Kumar Bharti"

 कभी इस फलक पर  आकर इत्मीनान से पढ़ो मेरे दिली खयाल।
"अल्हड़" दावा तो नहीं करता पर बेशक खत्म करेगा तुम्हारे कुछ सवाल।।

वक्त मिले तो आना ज़रुर
वरना वक्त का तकाजा तो जमाने में है बहुत मशहूर 

आदित्य मस्त अल्हड़
०९/०७/२०२३

©Aditya Kumar Bharti

कभी इस फलक पर आकर इत्मीनान से पढ़ो मेरे दिली खयाल। "अल्हड़" दावा तो नहीं करता पर बेशक खत्म करेगा तुम्हारे कुछ सवाल।। वक्त मिले तो आना ज़रुर वरना वक्त का तकाजा तो जमाने में है बहुत मशहूर आदित्य मस्त अल्हड़ ०९/०७/२०२३ ©Aditya Kumar Bharti

#Raftaar समय की

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