हिमाचल अपनी आपबीती सुनाएं।
सब कुछ बिखर गया है।
अब कोई कैसे समेट पाए
प्रकृति के प्रकोप ने।
दिल पर गहरे जख्म लगाए।
कितनी ही हसरत से।
एक आशियाना बनाया था।
कितनी शिद्दत से सजाया था।
सावन ने सब बर्बाद कर दिया।
और दिलों पर गहरा घाव कर दिया।
अंधाधुंध निर्माण कार्य ने।
धरती के सीने को छलनी कर दिया।
जागो अब तो प्रकृति को बचाओ।
यह धरती पूजनीय है।
इसे और नुकसान ना पहुंचाओ।
अनुराधा सिंह ठाकुर।
©thakur anuradha. singh
#DiyaSalaai