मैं इतिहास की तरह गुजर गई भूगोल स्वरूप वो परिवर्त | हिंदी कविता

"मैं इतिहास की तरह गुजर गई भूगोल स्वरूप वो परिवर्तन से परिलक्षित मैं साहित्य सी नरम पड़ गई वो गणित सा अकाड़ गया मैं मौन समाजशास्त्र वो राजनीति विज्ञान खेल गया मैं भौतिक विज्ञान सी देखती रह गई वो रासायनिक अन्तर्क्रिया दिखा गया मैं वाणिज्य उसके दायरे में वो अर्थशास्त्र जरूरतों की पूर्ति कम संसाधनों में सिखा गया मैं मनोविज्ञान समझ न सकी वो नीतिशास्त्र  पर लम्बी लम्बी हाँक गया ©बेबाक वाणी"

 मैं इतिहास की तरह गुजर गई
भूगोल  स्वरूप वो परिवर्तन से परिलक्षित
मैं साहित्य सी नरम पड़ गई
वो गणित सा अकाड़ गया 
मैं मौन समाजशास्त्र
वो राजनीति विज्ञान खेल गया
मैं भौतिक विज्ञान सी देखती रह गई
वो रासायनिक अन्तर्क्रिया दिखा गया
मैं वाणिज्य उसके दायरे में
वो अर्थशास्त्र जरूरतों की पूर्ति कम संसाधनों में सिखा गया
मैं मनोविज्ञान समझ न सकी
वो नीतिशास्त्र  पर लम्बी लम्बी हाँक गया

©बेबाक वाणी

मैं इतिहास की तरह गुजर गई भूगोल स्वरूप वो परिवर्तन से परिलक्षित मैं साहित्य सी नरम पड़ गई वो गणित सा अकाड़ गया मैं मौन समाजशास्त्र वो राजनीति विज्ञान खेल गया मैं भौतिक विज्ञान सी देखती रह गई वो रासायनिक अन्तर्क्रिया दिखा गया मैं वाणिज्य उसके दायरे में वो अर्थशास्त्र जरूरतों की पूर्ति कम संसाधनों में सिखा गया मैं मनोविज्ञान समझ न सकी वो नीतिशास्त्र  पर लम्बी लम्बी हाँक गया ©बेबाक वाणी

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