White जलता रहा यह संसार
और वो बत्ती बुझा कर सो गया ।
गरीबों को क्या मिला?
पूछता रहा यह हिंदुस्तान
और वो बत्ती बुझा कर सो गया ।
सरकार बने किसी की भी ,
हम गरीबों को क्या मिला?
एक बोतल दारु
और नुक्कड़ की दादागिरी।
आरोप, प्रत्यारोप में,
पिसता रहा हिंदुस्तान।
जलता रहा यह संसार ,
और वो बत्ती बुझा कर सो गया ।
तुम बुरे हो, हम अच्छे हैं।
यह समझा गया वह नाटकबाज।
बेवकूफ बनती रही जनता ,
और वो बत्ती बुझा कर सो गया ।
कभी मंदिर तो, कभी अजान।
बस दिखाई देती नहीं
इनको हमारे किसान।
सरकार बने किसी की भी।
हम गरीबों को क्या मिला?
सस्ता चावल, गेहूं बांटा गया मुफ्त में
बदले में लिया कीमती वोट हमारा ।
बेवकूफ बनती रही जनता,
और वो बत्ती बुझा कर सो गया ।
कभी पाकिस्तान,
तो कभी मुसलमान की बातें होती है।
क्या यह मुद्दा बड़ा है ?
बेरोजगार युवा यही पूछता है।
देश की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
क्या मणिपुर की वह बेटी विदेशी है?
बेटी को क्या मिला?
पूछता रहा यह हिंदुस्तान ।
और वो बत्ती बुझा कर सो गया ।
©Niaz (Harf)
जलता रहा यह संसार
और वो बत्ती बुझा कर सो गया ।
गरीबों को क्या मिला?
पूछता रहा यह हिंदुस्तान
और वो बत्ती बुझा कर सो गया ।
सरकार बने किसी की भी ,