फोटो फ्रेम में कैद नहीं हैं माँ मेरे दिल दिमाग स | हिंदी कविता Video

"फोटो फ्रेम में कैद नहीं हैं माँ मेरे दिल दिमाग से जाती नहीं हैं माँ। मेरा वजूद, मेरा अस्तित्व सब कुछ तो हैं माँ लाड़, दुलार, मनुहार कभी पुचकारती थी माँ। गलतियों पर कभी मीठी झिड़की देती थी माँ। उतना संतान क्या करेगी जितना त्याग करती थी माँ। जीवन जिससे है सबका तुझ पर सब समर्पित हैं माँ। ©Kamlesh Kandpal "

फोटो फ्रेम में कैद नहीं हैं माँ मेरे दिल दिमाग से जाती नहीं हैं माँ। मेरा वजूद, मेरा अस्तित्व सब कुछ तो हैं माँ लाड़, दुलार, मनुहार कभी पुचकारती थी माँ। गलतियों पर कभी मीठी झिड़की देती थी माँ। उतना संतान क्या करेगी जितना त्याग करती थी माँ। जीवन जिससे है सबका तुझ पर सब समर्पित हैं माँ। ©Kamlesh Kandpal

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