मैं ओस की ठंडी बूंद बनूगी तुम पहली तपिश बनोगे क्य | हिंदी कविता

"मैं ओस की ठंडी बूंद बनूगी तुम पहली तपिश बनोगे क्या मैं हाथ पकड़ के चल दूंगी तुम साथ मेरे चल दोगे क्या यूं तो मौसम आएंगे कुछ बादल भी हट जाएंगे पतझड़ की रूखी रातों में शायद हम फिर लड़ जाएंगे तुम फिर एक बार मना लोगे क्या आकर गले से लगा लोगे क्या माना मैं तुमसे रूठूगी तो प्यार से समझा लोगे क्या मैं ओस की ठंडी बूंद बनूगी तुम मेरी तपिश बनोगे क्या तुमसे मैं बिछड़ी अगर कभी तो कही नही फिर जाऊंगी जिस चौराहे छोड़ोगे हर सावन वही गुजारूंगी हर दफा मिलने आओगे क्या अपने संग मुझे ले जाओगे क्या मैं ओस की ठंडी बूंद बनूंगी तुम पहली तपिश बन पाओगे क्या ©Himanshi chaturvedi"

 मैं ओस की ठंडी बूंद बनूगी 
तुम पहली तपिश बनोगे क्या 
मैं हाथ पकड़ के चल दूंगी
तुम साथ मेरे चल दोगे क्या

यूं तो मौसम आएंगे
कुछ बादल भी हट जाएंगे
पतझड़ की रूखी रातों में 
शायद हम फिर लड़ जाएंगे
तुम फिर एक बार मना लोगे क्या
आकर गले से लगा लोगे क्या 
माना मैं तुमसे रूठूगी
तो प्यार से समझा लोगे क्या 
मैं ओस की ठंडी बूंद बनूगी
तुम मेरी तपिश बनोगे क्या

तुमसे मैं बिछड़ी अगर कभी
तो कही नही फिर जाऊंगी
जिस चौराहे छोड़ोगे
हर सावन वही गुजारूंगी
हर दफा  मिलने आओगे क्या
अपने संग मुझे ले जाओगे क्या 
मैं ओस की ठंडी बूंद बनूंगी
तुम पहली तपिश बन पाओगे क्या

©Himanshi chaturvedi

मैं ओस की ठंडी बूंद बनूगी तुम पहली तपिश बनोगे क्या मैं हाथ पकड़ के चल दूंगी तुम साथ मेरे चल दोगे क्या यूं तो मौसम आएंगे कुछ बादल भी हट जाएंगे पतझड़ की रूखी रातों में शायद हम फिर लड़ जाएंगे तुम फिर एक बार मना लोगे क्या आकर गले से लगा लोगे क्या माना मैं तुमसे रूठूगी तो प्यार से समझा लोगे क्या मैं ओस की ठंडी बूंद बनूगी तुम मेरी तपिश बनोगे क्या तुमसे मैं बिछड़ी अगर कभी तो कही नही फिर जाऊंगी जिस चौराहे छोड़ोगे हर सावन वही गुजारूंगी हर दफा मिलने आओगे क्या अपने संग मुझे ले जाओगे क्या मैं ओस की ठंडी बूंद बनूंगी तुम पहली तपिश बन पाओगे क्या ©Himanshi chaturvedi

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